हर श्वांस में भगवान।
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नादान है वे लोग,जो कहते हैं,
मंदिर में भगवान नहीं होता|
सच तो यही है गर भगवान न होता,
तो दुनियाँ में इंसान ही नहीं होता||
माना कि पेड़ लगाकर तुम,
अपने आप हवा पैदा कर लोगे,
पर जीवन को जीवन्त करने वाली,
वह प्राण कहाँ से लाओगे।।
माना कि अपने बगीचे में,
नाना भांति फूल उगा सकते हो|
पर इत्ता तो बता दो प्यारे,
फूल में खुशबू कहाँ से लाओगे?
माना कि अपनी खेतों पर तुम,
बम्फर अनाज पैदा कर लोगे|
पर इत्ता बता दो तन,मन को,
तृप्त करने वाली स्वाद कैसे लाओगे?
माना कि डॉक्टर अपने मरीज की,
इलाज का सब हुनर जानते हैं|
लेकिन प्राण बचाने का चमत्कार,
सिर्फ भगवान ही कर सकता है||
ईश्वर है तभी तो चाँद,सूरज,तारे,
ये धरती,और आसमान है|
जो इसको न समझ सके,
ये “प्रखर”वो सचमुच में नादान है||
हमें अपने कुल,धर्म पर सदा-सर्वदा,
आजीवन अभिमान होना चाहिए|
जब तक शरीर में जान रहे,
हर श्वांस में भगवान होना चाहिए||
रचनाकार:–श्रवण कुमार साहू, ” प्रखर “
शिक्षक/साहित्यकार, राजिम, गरियाबंद (छ.ग.)