कृष्ण जिससे प्रेम करते हैं वह उसके ड्राइवर बन जाते हैं: पं.बृजेशमणी पांडे।

 

राजिम :- भगवान राजीवलोचन मंदिर के प्रांगण पर सुरभि सेवा सदन यज्ञ समिति गुरुग्राम हरियाणा के तत्वाधान में चल रहे श्री हरि हरात्मक महायज्ञ एवं भंडारा में वाराणसी से 50 संत पहुंचे हुए हैं। सुबह 8:00 से दोपहर 12:00 बजे तथा अपराह्न 02 से शाम 6:00 बजे तक 8 घंटे प्रतिदिन यज्ञ हो रहे हैं। यह सप्तमी से लेकर पूर्णिमा अर्थात 27 नवंबर तक होंगे।

ब्रह्मचारी कौशलेंद्र ने बताया कि भंडारा का आयोजन किया गया है। कोई भी श्रद्धालु आकर भोजन प्राप्त कर सकते हैं यह हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी। यज्ञ कुंड पर लगातार आहुतियां डाली जा रही है। अलग-अलग पंडाल लगाए गए हैं तथा संतों के रहने के लिए भी टेंट लगा दिए गए हैं। यज्ञशाला के पास अर्धनारीश्वर शंकर पार्वती की प्रतिमा श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही है।

दूसरे पंडाल पर पंडित बृजेशमणी पांडे भागवत प्रवचन कर रहे हैं। इन्होंने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि कृष्ण जिससे प्रेम करते हैं वह उसके ड्राइवर बन जाते हैं। संतो के चरणों में स्वर्ग है। महाभारत खत्म होगा तब भगवान से प्रेम होगा। जब तक लाभ हानि जस अपजस की चिंता बनी रहेगी, तब तक ईश्वर को प्राप्त नहीं किया जा सकता। परीक्षित से परीक्षा बना है जो चारों तरफ का मूल्यांकन करता है। परीक्षित जन्म लेते ही चारों तरफ देखने लगे। उन्होंने आगे कहा कि पागल तीन प्रकार के होते हैं साइकोलॉजी में 108 प्रकार बताए जाते हैं। परंतु तीन मुख्य है। पागल, सोए हुए बच्चे या फिर जगे हुए बच्चे को भी नहीं मारना चाहिए। इसके अलावा स्त्री, गाय, मूर्ख, डरे हुए, जिनका रथ टूट जाए इत्यादि किसी को भी नहीं मारना चाहिए।उन्होंने दृष्टांत के माध्यम से बताया कि अश्वत्थामा अपने मित्र के पास आया तो दुर्योधन दर्द से कराह रहा था उनको देखकर उपहार भेंट करने की सोच रहे थे और अपनी सोच को मूर्तरूप देने के लिए पांडव के शिविर में जाग घुसा। उन्होंने पांडव के पुत्रों को पांडव समझकर अर्ध रात्रि में नंगी तलवार से सिर काट दिया। पांचो सिर को ले जाकर दुर्योधन को उपहार में दिया तो दुर्योधन ने कहा कि तुमने तो अनर्थ कर दिया यह तो पांडव पुत्र है। इधर द्रोपती छाती पीट – पीट कर रो रही थी। अर्जुन ने प्रतिज्ञा किया और अश्वत्थामा को रथ में बांधकर घसीटते हुए लाया। द्रौपदी से पूछा कि इसके साथ क्या किया जाए, तब उन्होंने अपनी सहनशीलता का परिचय देते हुए कहा कि इन्हें छोड़ दिया जाए, क्योंकि यह तुम्हारे गुरु के पुत्र है। पांचो बेटों का हत्यारा खड़ा है और द्रौपदी छोड़ने के लिए कह रही है। उन्होंने कहा कि यह मर जाएगा तो जैसे आज मैं रो रही हूं वैसे इनके करने के बाद इनकी मां कृपि भी रोएगी। आचार्य के पत्नी के आंखों में आंसू नहीं देखना चाहती। मैं रो लूंगी पर किसी को रुलाना नहीं चाहती। जो जैसा कर्म करेगा उनका उनका फल जरुर मिलेगा। इस मौके पर मंदिर के सर्वराकार चंद्रभान सिंह ठाकुर, पंडित रुपेश तिवारी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन एवं भंडारा में भोजन प्राप्त करने के पहुंचे थे।