बच्चों ने अक्ती पुतरा पुतरी विवाह के लिए लाया चुलमाटी।

राजिम :- आज शनिवार को अक्षय तृतीया होने के कारण बड़ी संख्या में शादियों के अलावा पुतरा पुतरी का विवाह रचाया जाएगा। छोटे-छोटे बच्चे इसकी तैयारी में वैसे तो 15 दिन पहले से ही लग गए हैं परंतु उनके 1 दिन पहले अर्थात शुक्रवार को बाजा के साथ चुलमाटी लाने के लिए विधि विधान के साथ नाचते गाते झूमते हुए गए और बकायदा पूजा अर्चना की गई। पश्चात लकड़ी के डंडे के साबर से मिट्टी निकाले गए और उन्हें लाकर मडवा बनाया गया। चौंक पुरकर तेल हरदी चढ़ाने की प्रक्रिया पूर्ण किया गया। शनिवार को बरात स्वागत के साथ ही पानीग्रहण और टिकावन जैसे कार्यक्रम होंगे। बच्चों का उत्साह इसमें खूब देखने को मिल रहा है। बताना होगा की बालिकाओं के साथ बच्चों और बड़े भी इस परंपरा में सम्मिलित होते हैं। प्रत्येक घरों में गुड्डा गुड़ियों का विवाह का आयोजन धार्मिक एकता एवं प्रेम व्यवहार को बढ़ाने का काम करती है। किसानों का नया दिन अक्ती से शुरू, किसान अक्ति पर्व को किसानी का नया दिन मानते हैं और उन्हीं के हिसाब से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं। इस दिन ठाकुर देव में पत्ते के पात्र जिसे दोना कहते हैं। इसमें धान रखकर ग्रामीण देवी देवता ठाकुर देव में समर्पित किया जाता है तथा धान बोने की पूरी रिवाज किया जाता है परंपरा का निर्वाह करते थे इस दिन धान बोने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। किसान धान ले जाकर अपने खेतों में छिड़काव कर देते हैं। और फिर खरीफ फसल की तैयारियां शुरू हो जाती है।

पितरों का तर्पण करने से मिलता है शुभ फल

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को ब्रह्म देव के पुत्र अक्षय कुमार की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इस दिन को अक्षय तृतीया कहा जाता है। बताया जाता है कि अक्षय तृतीया पर पितरों का तर्पण करने और पिंडदान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और अक्षय फल मिलता है। ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं तथा सदैव सुखी रहने का आशीर्वाद भी प्रदान करते हैं। यह भी बताया जाता है कि जल, कुंभ, शक्कर, सत्तू, पंखा, छाता, फल आदि वस्तुएं इस दिन दान करने से घर में चल रहे आर्थिक तंगी समाप्त हो जाता है और मां लक्ष्मी स्वयं पधारकर संपन्नता प्रदान करती है।