राजिम :- गुरुवार को राम नवमी के अवसर पर ज्योत जंवारा विसर्जन के लिए अंचल में जनसैलाब उमड़ पड़ा था। माता की जयकारा होती रही। उसके बाद जंवारा विसर्जन की तैयारियां तेज हो गई। एक ओर माता सेवक दल के द्वारा माता की महिमा का गुणगान करते हुए वाद्य यंत्रों के साथ भजन गा रहे थे। दूसरी ओर जोत जंवारा जैसे ही घर से निकला पूरे गांव में लोग नए वस्त्र धारण कर शोभायात्रा में सम्मिलित होने के लिए उपस्थित हुए।
इस दिन लोग अपने सारे कामकाज को छोड़कर जंवारा विसर्जन में लगे रहे। बताना जरूरी है कि चैत नवरात्र का पर्व 22 मार्च दिन बुधवार को शुरू हुआ तथा विसर्जन गुरुवार को 30 मार्च को हुआ है। इस दौरान देवी मंदिरों में बड़ी भीड़ रही। कमलक्षेत्र की आराध्य देवी मां महामाया मंदिर में पूरे 9 दिनों तक जस गीत होते रहे और महाअष्टमी को नवकन्या भोज के साथ ही हवन पूजन का कार्यक्रम हुआ। सुबह से ही मां महामाया मंदिर में जोत जंवारा विसर्जन किया गया। मौराहा तालाब में विसर्जन के लिए बड़ी संख्या में नगरवासी उपस्थित हुए वहीं शीतला माता मंदिर के जंवारा विसर्जन तालाब में किया गया। इसी तरह से देवी सत्ती मंदिर में भी बड़ी संख्या में शहरवासी उपस्थित होकर माता के प्रति श्रद्धा भक्ति समर्पित किए।
विसर्जन में देवता चढ़ना बना कौतूहल
वाद्य यंत्र की धुन पर सेवादल माता के गीत गा रहे थे तो गीत की धुन पर झूमते हुए देवता चढ़कर माता के प्रति श्रद्धा भक्ति समर्पित कर रहे थे। चौबेबांधा में 50 वर्षीय महिला तपती धूप में सीसी रोड पर सो गए। वह बैठते रहे और झुपकर वाद्य यंत्र की धुन पर झूमते रहे।
इसी तरह से अनेक भक्त गीतों पर झूमे। क्योंकि धूप ज्यादा था इसलिए जैसे ही महिलाओं के द्वारा जोत जंवारा सिर में लेकर आगे बढ़ते गए उन्हें छाता लेकर छाया भी प्रदान किया तथा सिर पर दही डालकर ठंडकता प्रदान की गई।
तालाब में किया विसर्जन
शहर सहित अंचल के गांव चौबेबांधा, सिंधौरी, बरोड़ा, श्यामनगर, सुरसाबांधा, तर्रा, कुरूसकेरा, देवरी, जेंजरा, हथखोज, पोखरा, पितईबंद, बकली, रावड़, भैंसातरा, बेलटुकरी, कोंदकेरा समेत सैकड़ों गांव में जोत जंवारा विसर्जन का कार्यक्रम हुआ। साथ ही देवी मंदिर मां महामाया, सती मंदिर, चंडी मंदिर, दुर्गा मंदिर, ब्रह्मचारिणी दरबार, खंडोबा तुलजा भवानी मंदिर, घटोरिया माता मंदिर के साथ ही अन्य देवी मंदिरों में भी विसर्जन का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
संतान की अभिलाषा लेकर पानी फैलाकर सो गए श्रद्धालु
जैसे ही जंवारा लेकर आगे बढ़ रही महिलाओं के सामने कुछ महिलाएं संतान की अभिलाषा लेकर बड़े पात्र में पानी लाए और उनके सम्मान में पानी को फैला दिए तथा वही पर सो गए। उन पर पांव रखकर आगे बढ़ते गए और उन्हें लोग आशीर्वाद देते रहे।
सेवक दल ने किया देवी मां का गुणगान
सेवक दल देवी मां का गुणगान करते रहे। इस दौरान जैसे ही आगे बढ़ते गए देवी शक्ति, देवी कालिका, गंगा स्नान, हवन पूजन इत्यादि से संबंधित गीतों का गुणगान करते रहे। वाद्य यंत्र जिनमें ढोलक, टासक, दफड़ा, मजीरा, करताल इत्यादि वाद्य यंत्र की आवाज अत्यंत मधुर लग रहे थे।