कविता
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विषय-भ्रूण हत्या पाप
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बेटे की चाह में भ्रूण की करवाते हो जांच
बेटी पल रही जानकर होते क्यूँ निराश
गर्भपात करवाकर करते हो तुम पाप
नवरात्र में देवी के रूप में करते पूजा पाठ।
माँ की कोख से जन्मे तुम भूलते ये बात
बेटियां होती हैं माता पिता का अभिमान
मातृ-शक्तियों से ही वजूद हैं हम सबका
एक नन्ही कली को तोड़ना होता दर्दनाक।
सृष्टि की रचना की सुंदर सी ये बागबान
भेदभाव भूल बेटियों का करो सम्मान
इंसानियत को न करो कभी भी शर्मसार
दुनिया में आने का उसे भी हैं अधिकार।
दुर्गा,काली व चंडी की हर कन्या अवतार
बेटियों की सुरक्षा का बनो अब तुम ढाल
शिक्षा पाकर वो भरेगी एक नई उड़ान
शोषित,पीड़ित व दुखी न हो बेटी परेशान।
राम की इस धरती पर पैदा न हो रावण
न हो अब किसी सीता की अग्नि परीक्षा
हर मां,बहन और बहू सदा ही रहे पावन
पिता-पुत्र, भाई व मित्र बन करें सुरक्षा।
कन्यापूजन का सिर्फ न हो कोई दिखावा
दुनिया में न हो वहसी दरिंदो का निशान
शक्ति ,साहस व स्वतंत्रता का दे हथियार
बेटियां तो होती हैं देश की आन बान शान।।
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प्रेषक
कवयित्री
सरोज कंसारी
नवापारा राजिम
जिला-रायपुर(छ. ग.)