राजिम के मुख्यमंच पर श्रीलंका व वियतनाम के मंडलियों ने राम नाम की माला जपी।

राजिम:- 05 फरवरी से प्रारंभ राजिम माघी पुन्नी मेला का समापन शनिवार 18 फरवरी को होगा। इस दौरान राजिम मेला के मुख्यमंच पर प्रतिदिन छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कलाकार अपनी प्रस्तुति देकर दर्शकों का मनोरंजन कर रहे है। मंच पर कई ऐसे कार्यक्रम जिसमें दर्शक भी झूमन लगते है।

माघी पुन्नी मेला के 12वें मुख्यमंच पर अन्तर्राष्ट्रीय मानस मंडलियां श्रीलंका और वियतनाम के मंडलियों ने रामायण की शानदार प्रस्तुति देख दर्शक भी मंत्रमुग्ध हो गए। मंच पर सबसे पहले अहिरवारा के सुरझंकार से आरती बारले ने अपनी प्रस्तुति दी। इसके बाद वियतनाम के मानस मंडलियों ने रामायण की प्रस्तुति दी, जिसमें रावण वध दिखाया गया। उनके द्वारा किए जा रहे संवाद को देख दर्शक भी रोमांचित हो उठे। राजिम के राष्ट्रीय मंच पर अंतर्राष्ट्रीय मानस मंडलियों की प्रस्तुति से छत्तीसगढ़ के साथ राजिमवासियों के गौरवपूर्ण क्षण रहा। वियतनाम के द्वारा किए जा रहे संवाद को देख उनके भाव को समझते हुए दर्शकों ने तालियों से उन विदेशी कलाकारों का सम्मान किया। कलाकारों के द्वारा वियतनाम में होने वाले सोमनृत्य, रोमोनृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों को उनके देश में होने वाले नृत्य से अवगत कराया।

इसी कड़ी में श्रीलंका से आए रामायण मंडली द्वारा रामायण को तीन भागों में प्रस्तुत किया गया। जिसके पहले भाग में राम के द्वारा रामायण, दूसरे भाग में सीता के रूप का और तीसरे भाग में हनुमानजी द्वारा लंका के भौगोलिक वातावरण का वर्णन किया गया। इन कलाकारों के द्वारा अपनी भाषा में रामायण की प्रस्तुति दी और कार्यक्रम के अंत में उन्होंने हिन्दी भाषा में राम नाम की माला जपी। मंच पर कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति छत्तीसगढ़ के जाने माने और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला की छाप छोड़ने वाले सुप्रसिद्ध लोक रागनी के रिखी क्षत्रिय ने अपनी प्रस्तुति दी। लोक रागनी के कलाकारों ने सर्वप्रथम मां सरस्वती के वंदना कर लोक पारंपरिक धुन की प्रस्तुति दी। जय मां काली दुर्गा दाई गीत की प्रस्तुति की गई उस समय मंच पर साक्षात् जगत जननी प्रकट हुए जिसे देख दर्शक भी अभिवादन करने लगे। संगी बोये बर जाबो धान… गौरी-गौरा, सुआ नृत्य ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। इस लोकरागनी का बेहतरीन गीत ये कोकई कांटा रे टूरा… ने एक बार फिर दर्शकों को अपनी ओर आकार्षित किया। चल आबे दीवानी करमा नाचे बर… के साथ और भी छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक परंपरा से युक्त गीतों की प्रस्तुति दी। जिसे दर्शक लंबे समय तक मंच से बंधे रहे। इसके पूर्व इसी मंच पर धमतरी कुरूद से आये आकाशगिरी गोस्वामी द्वारा जगदलपुर के जनजातियों के द्वारा गायें जाने वाले गीत मोर गोंदा फूल रे… इस गीत पर बस्तर में किये जाने वाले नृत्य का प्रस्तुति दी। जिसे देखकर मंच में ही दर्शकों को बस्तर का दर्शन हो गया। कलाकारों का सम्मान स्थानीय जनप्रतिनिधि, केन्द्रीय समिति के सदस्य व अधिकारियों द्वारा स्मृति चिन्ह भेंटकर किया गया। मंच का संचालन निरंजन साहू द्वारा किया गया।